बंदा गरीब है / Banda Garib Hai Lyrics in Hindi – Hamsar Hayat

Banda Garib Hai Lyrics is a Saai Bhajan from album Sai Ki Jogniya sung by Hamsar Hayat Nizami. Lyrics of Banda Garib Hai Bhajan are written by M.D Hayat. Music director is Hamsar Hayat and music label is T-Series. Read Sai Bhajan Banda Garib Hai Lyrics in Hindi.


Bhajan – Banda Garib Hai
Album – Sai Ki Jogniya
SingerHamsar Hayat Nizam, Atahar Hayat
Music Director – Hamsar Hayat Nizam
Lyrics – M.D. Hayat
Music – T-Series


Banda Garib Hai Lyrics in Hindi

मुझको तुम्हारी ये जुदाई डालेगी
मुझको तुम्हारी ये जुदाई डालेगी
नज़रें ना फेरना तन्हाई मार डालेगी

ए खुदा ये बता क्यूँ मिली बुझे बेगुनाई की सजा
ए खुदा ये बता क्यूँ मिली बुझे बेगुनाई की सजा
मर गया मैं मर गया यार है मुझ से खफा
ए खुदा ये बता क्यूँ मिली बुझे बेगुनाई की सजा
मर गया मैं मर गया यार है मुझ से खफा
बेगुना मैं बुगुना, बेगुना मैं बेगुना

मेरे हाथो की लकीरों का तमाशा मैं क्या जानू
मेरे हाथो की लकीरों का तमाशा मैं क्या जानू
मानु मैं तो मानु साईं तुझे को ही मानु
लाया ना मैं कोई नजराना, किस्सा अजीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

(संगीत)

अपनों ने मुझे ठुकराया, मैं साईं तेरे दर पे आ गया
मैंने देखे है रंग दुनिया के, नज़ारा मुझे तेरा भा गया
मुझे मिल गया पालने वाला, मिल गया अल्ला वाला, मेरा नसीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

(संगीत)

हर मोड़ में है तुमने संभाला, साईं ने मुझे रोने ना दिया
मुझे लोगो ने चाहा मिट जाए, साईं ने कुछ होने ना दिया
उसे आंधियां मिटा ना सकेंगी, जो साईं के करीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

(संगीत)

जिस रात की ना हो कोई सुबह, वो रात साईं मेरी जिंदगी
जिस बात का ना हो कोई मतलब, वो बात साईं मेरी जिंदगी
जीना ठोकरों में हर गर्दिश की, ये मेरा नसीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

(संगीत)

जो सर ना झुका किसी के आगे, वो सर तेरे दर पे झुक गया
जो काफिला घर से चला था, वो आ के तेरे दर पे रुक गया
सूफी हमसर ये दोहराए, साईं जी मेरा हबीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

ए खुदा ये बता क्यूँ मिली बुझे बेगुनाई की सजा
मैं मर गया, मैं मर गया यार है मुझ से खफा
बेगुना मैं बुगुना, बेगुना मैं बेगुना
बेगुना मैं बुगुना, बेगुना मैं बेगुना

मेरे हाथो की लकीरों का तमाशा मैं क्या जानू
मेरे हाथो की लकीरों का तमाशा मैं क्या जानू
मानु मैं तो मानु साईं तुझे को ही मानु
लाया ना मैं कोई नजराना, किस्सा अजीब है
मांगने को हाथ भी नहीं है, बंदा गरीब है

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